पिछले 70 सालों से पाकिस्तान में कैसी है हिंदुओं की हालत ?
Pakistan में आए दिन अल्पसंख्यक हिंदु मंदिर के साथ तोड़ फोड़ करने और साथ ही हिंदुओं के साथ हो रही बदसलूकी की खबर भी सामने आ चुकी है। हर बार पाकिस्तान प्रशासन की ओर से कदम तो उठाया जाता है पर , कुछ खास कार्यवाही करते हुए सरकार नज़र नहीं आती। हर बार FIR दर्ज कर आरोपियों को छोड़ दिया जाता है।
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लेकिन सवाल यहां ये है कि क्या अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में भारत के पड़ोसी देशों समेत पाकिस्तान में हिंदु क्या विलुप्त हो जाऐंगे? और वहीं आज़ादी के बाद भारत में क्या है मुस्लिम और हिदुंओं का अनुपात ? इसी पर हम करेंगे आज की चर्चा –
पाकिस्तान में हर साल हजार से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन

पाकिस्तान के निर्माण के बाद से लगातार Pakistan को एक इस्लामिक स्टेट बनाने की मांग पर अड़ें मोहम्मद अली जिन्ना के साथियों में से एक नजीमुद्दीन, जिन्होंने कई बार पाकिस्तान में रह रहें हिंदुओं की अनदेखी कर पाकिस्तान को एक इस्लामिक स्टेट बनाने की मांग आगे कर दी थी।
पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रही बदसलूकी की पोल तो तब खुली जब इमरान सरकार ने पाकिस्तान में राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनाने के लिए 10 करोड़ रु की राशी दी थी, लेकिन इस मंदिर के निर्माण से पहले ही कट्टरपंथियों ने इसे तोड़ डाला। पाकिस्तान में सरकार भी इन कट्टरपंथियों के दबाव में आकर मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी थी।
पाकिस्तान में हिंदू आबादी को लेकर अलग-अलग आंकड़े
अगर आजादी के बाद Pakistan में अल्पसंख्यक हिंदुओं की संख्या पर ध्यान दे तो, 1951 में हुई जनगणना के मुताबिक 72. 26 लाख मुस्लिम पाकिस्तान चले गए थे, कई मुस्लिम उस समय के पूर्वी Pakistan और अब के बांग्लादेश चले गए थे। और वहीं 72.49 लाख हिंदु और सिख लोग वापस भारत लौटे थे।
Pakistan में हर साल नाजाने कितनी ही लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवा दिया जाता है, और उनकी शादी किसी मुस्लिम धर्म के लड़के से करवा दी जाती है।
United state commission on international religious freedom के डेटा की मानें तो पाकिस्तान में हर साल करीब 1000 से अधिक लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जा चुका है।
उनका किडनैप कर उनसे इस्लाम कबूल करवाया गया है, और ना जाने कितनी लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया है। धर्म परिवर्तन करवाई गई लड़कियों में ज्यादातर हिंदु और ईसाई धर्म की ही लड़किया होती है।
बंटवारे के समय 428 मंदिर थे, उनमें से 408 दुकान बने

All Pakistan हिंदु राइट्स मूवमेंट की एक रिपोर्ट में यह पाया गया था कि साल 1947 के समय पाकिस्तान में कुल 428 मंदिर थे, लेकिन धीरे धीरे साल 1990 के आते आते इन मंदिरों में मदरसे और खिलौने की दुकाने खोल दी गई।
और जब ये भी Pakistan की सरकार को कम लगा तो हिंदु अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थान को करीब डेढ़ लाख एकड़ ज़मीन सरकार को इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को लीज़ पर दे दी गई। आपकी जानकारी के लिए बतां दे कि यह ट्रस्ट विस्थापितों की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया करता है।

Pakistan में ताज महल होटल की सच्चाई भी कुछ ऐसी ही है। पहले यहां काली बाड़ी मंदिर था। खैबर पख्तूनख्वाह के बन्नू जिले में मिठाई दुकान जहाँ है वहां पहले एक हिंदु मंदिर हुआ करता था।
कोहाट में एक शिव मंदिर था जो अब सरकारी स्कूल में तब्दील हो गया है। और ऐसे ही नाजाने कितने आंकड़े है जो Pakistan में हिंदु अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है।
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वहीं भारत में यही आकंडा ठिक उल्टा है यहां आज़ादी के बाद मुस्लिमों की संख्या में इज़ाफा ही हुआ है यानी जिस शर्त पर भारत और Pakistan के बीच विभाजन हुआ था, उस शर्त को केवल भारत नें निभाया Pakistan ने तो सिर्फ इसकी अनदेखी ही करी है। जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना बहुत ज़रुरी है।
रिपोर्ट- रुचि पाण्डें
मीडिया दरबार
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