ट्रैक्टर रैली क्या गणतंत्र दिवस समारेह में देगी दखल
कोरोना काल के बीच गणतंत्र दिवस नज़दीक है, सभी तैयारियाँ लगभग -लगभग की जा चुकी हैं। लेकिन इस बीच किसानों द्वारा पूर्व में ट्रैक्टर या ट्रॉली मार्च की घोषणा यह अब शायद मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

दिल्ली की सरहदों पर बीते 57 दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों ने आगामी 26 जनवरी पर दिल्ली में ट्रैक्टर या ट्रॉली रैली निकालने की बात कही थी, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच गया था, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बाद में फैसला दिल्ली पुलिस पर छोड़ दिया था।
किसानों की ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि वे ट्रैक्टर या ट्रॉली मार्च दिल्ली के भीतर ज़रुर निकालेंगे, जिसके बाद किसान संगठनों ने दिल्ली उत्तर प्रदेश औऱ हरियाणा पुलिस के साथ बैठक की थी।
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बैठक में पुलिस ने आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए सहमति नहीं जताई थी, लेकिन किसानों ने पहले ही यह कहा था कि वे केवल आउटर रिंग रोड पर ही रैली निकालेंगे, और किसानों की ट्रैक्टर रैली से गणतंत्र दिवस के जश्न में कोई खलल नहीं पड़ेगा।
पुलिस के अनुसार आउटर रिंग रोड पर परेड निकालने से हो सकती है परेशानी

बता दें की कृषि कानूनों के विरोध में किसान लगातार विरोध में किसान लगातार प्रदर्शन कर रहें हैं। इस बीच 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड को लेकर किसानों औऱ पुलिस के बीच किसान नेता दर्शनपाल ने मीडिया से सवाल पूछे।
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पुलिस ने कहा हैं कि आउटर रिंग रोड पर परेड निकालने से परेशानी हो सकती है, वैसे परेड की परमिशन के बारे में दिल्ली पुलिस ने अभी तक कुछ खास बयान नहीं दिया है। बता दें कि किसानों ने दिल्ली पुलिस से 26 जनवरी को परेड के लिए लिखित परमिशन नहीं मांगी है।
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली पर किसान नेता राकेश टिकैत ने दिया बयान

किसान नेता राकेश टिकैत ने भी साफ-साफ कहा था कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मान लेती आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने गणतंत्र दिवस को लेकर भी कहा था कि इस बार यह ऐतिहासिक होगा|
एक तरफ जवान परेड कर रहे होंगे और दूसरी तरफ किसान प्रदर्शन। अब इस बार की यह परेड बाकी परेड से कितनी भिन्न होगी और दिल्ली पुलिस इस पर क्या फैसला ले सकती है यह देखना एहम होगा।
ट्रैक्टर मार्च से क्या होगा समस्या का सामाधान?

बता दें की केंद्र सरकार और किसान संगठन के बीच बीते 22 जनवरी को बैठक हुई जिसमें पिछले दौर में हुई बैठकों की भांति ही कोई भी उचित निष्कर्ष नहीं निकल पाया हैं।
हालांकि केंद्र सरकार ने किसानों के सामने कानूनों को 1.5 साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव रखा है. फिलहाल इसपर किसानों ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
रिपोर्ट- रुचि पाण्डें
मीडिया दरबार
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