पश्चिम बंगाल में हिंदुत्व पर छिड़ी जंग
पश्चिम बंगाल के चुनाव में हिंदुत्व की जोरदार लड़ाई देखने को मिल रही है, एक ओर जहां जय श्रीराम के नारे को लेकर विवाद खड़ा हुआ है, तो वहीं अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति अपना रही हैं। जय श्री राम हो या जय सिया राम इन नारों के मसले पर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में जंग छिड़ी हुई है|
बीजेपी जहां ममता बनर्जी और टीएमसी को ‘राम द्रोही’ करार देने पर जुटी है, तो टीएमसी इसे सिर्फ चुनावी स्टंट करार दे रही है। लेकिन सावल यहां ये है कि ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में चुनाव से ठीक पहले ऐसा कौन सा कदम उठाया है जिसके कारण ये कहा जा रहा है कि चुनाव को नज़दीक देखते ही ममता दीदी ने नया कदम उठा लिया है।
ममता दीदी द्वारा पश्चिम बंगाल में हिंदू वोटो को साधने की कोशिश

दरअसल बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब हिंदु वोटो को साधने की कोशिश कर रही है। मार्च को नंदीग्राम से चुनावी बिगुल फूकेंगीं। माना जा रहा है कि यही कारण है कि उन्होंने अपने नामांकन के लिए 11 मार्च का दिन चुना है|
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इस दिन महाशिवरात्रि का पर्व है, इसके लिए तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई हैं, नंदीग्राम में अस्थाई आवास और चुनाव कार्यालय का इंतजाम किया गया है, ममता बनर्जी 10 मार्च को पूर्व मिदनापुर के हल्दिया पहुंच जाएंगी, यहां रात्रि विश्राम से पहले मीटिंग करेंगी और अगले दिन नंदीग्राम जाएंगी|
नामांकन दाखिल करने के लिए शिवरात्रि को चुनाव गया

नामांकन दाखिल करने के लिए शिवरात्रि को खास वजह से चुना गया है, चर्चा है कि ममता बनर्जी शिवरात्रि के दिन नामांकन भरकर संदेश देना चाहती हैं कि वह शिव भक्त हैं और इस पावन हिंदू त्योहार को जीवन के बड़े काम के लिए चुना हैं, क्योंकि हिंदू कोई भी बड़ा काम पावन दिन को ही करते हैं|
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माना जा रहा है कि महाशिवरात्रि पर चुनावी शंखनाद कर ममता बनर्जी की सोच है कि बीजेपी के जय श्रीराम नारे के मुकाबले में शिव का नाम खड़ा किया जा सके, वहीं ममता दीदी के चुनाव प्रचार का पूरा खाका भी तैयार कर लिया गया है।
नंदीग्राम पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की सबसे अहम सीट बनी

बताया गया है कि विरोधियों को चित करने के लिए ममता बनर्जी चुनाव प्रचार पैदल करेंगी, एक दिन में कई किलोमीटर तक पैदल चलने का प्लान है|
वहीं तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा है कि पार्टी मुझे नंदीग्राम से खड़ा करे या न करे, लेकिन मैं जिम्मेदारी लेता हूं कि ममता को यहां से हराऊंगा| बता दें कि नंदीग्राम से शुभेंदु अधिकारी का नाम वैसे तो तय माना जा रहा है, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी ही लेगी।
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वहीं लेफ्ट फ्रंट ने भी नंदीग्राम सीट अब्बास सिद्दीकी के आईएसएफ के लिए छोड़ दी है| ऐसे में इस वक्त नंदीग्राम बंगाल विधानसभा चुनाव की सबसे हाई प्रोफाइल सीट बनती जा रही है। अब यहां ये देखना अहम होगा कि बंगाल में आने वाले चुनाव में किस पार्टी को नंदीग्राम विधानसभा सीट पर जीत हासिल होगी।
रिपोर्ट- रुचि पाण्डें
मीडिया दरबार
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