प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ के साथ शुरू हुए विवाद
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। 11 दिसंबर को प्रणब मुखर्जी के जन्मदिन पर इस किताब की घोषणा के समय भी इस किताब में कुछ चौकाने वाले दावे सामने आये थे|
जिसमे दिवंगत प्रणव दा ने 2014 की कांग्रेस की हार के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को जिम्मेदार बताया था और अब मंगलवार को लाँच के बाद एक बार फिर से ये किताब सुर्ख़ियों का हिस्सा बन गई है प्रणब मुखर्जी की किताब में देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को लेकर चौंकाने वाले दावे किये गए है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ की घोषणा के साथ ही विवादों का सिलसिला शुरू हो गया था देश के पूर्व राष्ट्रपति रहे दिवंगत प्रणब मुखर्जी ने अपनी मृत्यु से पहले ये किताब लिखी थी जिसमे उन्होंने देश के सभी प्रधानमंत्रियो और उनकी अलग अलग कार्यविधियों की चर्चा की है|
प्रणब मुखर्जी की बेटी और कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस किताब को लेकर अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए ट्वीट कर लिखा –
Glad that Babas’ book ‘The Presidential Years’ (the last of the four part series of his political autobiography) is out. Hope readers enjoy the book. pic.twitter.com/BzT09t09y8
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) January 5, 2021
प्रणब मुखर्जी की किताब में नेहरु को लेकर कही ये बड़ी बात
ऑटोबायोग्राफी ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ के चैप्टर 11 ‘माई प्राइम मिनिस्टर्स: डिफरेंट स्टाइल्स, डिफरेंट टेम्परमेंट्स’ में प्रणब मुखर्जी ने कमोबेश हर प्रधानमंत्री के विषय में अपने विचार रखे है|
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प्रणब मुखर्जी की किताब ने किये कई बड़े दावे
प्रणब मुखर्जी की किताब में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को लेकर चौंकाने वाला दावा किया गया है। इस किताब में दावा किया गया है कि नेपाल भारत में विलय होना चाहता था|
प्रणब मुखर्जी की किताब में ये लिखा है कि राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने नेहरू को यह प्रस्ताव दिया था कि नेपाल का भारत में विलय कर उसे एक प्रांत बना दिया जाए, मगर तब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
उन्होंने आगे लिखा है कि अगर इंदिरा गांधी नेहरू के स्थान पर होतीं तो इस अवसर को जाने नहीं देतीं जैसे उन्होंने उदाहरण के तौर पर इसमें सिक्किम का जिक्र भी किया गया है। जब इंदिरा गाँधी ने 1975 में सिक्किम को भारत के 22वे राज्य के तौर पर विलय किया था|
यहाँ आपको ये भी बता दे की ये मामला कोई पहली बार नहीं उठा है इससे पहले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी अपने एक ट्वीट में दावा किया था की नेहरू ने नेपाल को भारत में मिलाने का मौका गंवा दिया था|
इस पर क्या कहना है जानकारों का
लेकिन इन दावों का सच समझने से पहले ज़रूरी है कि इस मुद्दे को समझने का प्रयास किया जाये उस वक्त की स्थिति के हिसाब से पंजित जी के फैसले का कारण समझने की कोशिश की जाये
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दक्षिण एशिया मामलों के जानकार प्रोफ़ेसर एसडी मुनि, और नेपाल के भारत में पूर्व राजदूत लोकराज बरल जैसे जानकारों की माने तो वे कुछ और ही राय प्रस्तुत करते है|
बरल की मानें तो वो सरदार पटेल थे, जिन्होंने नेहरू के सामने नेपाल को भारत में मिला लेने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन नेहरू ने इस सुझाव को खारिज कर दिया था| हालांकि इस दावे के भी कोई सबूत पेश किए जाने का कोई ज़िक्र नहीं है|
वही प्रोफेसर मुनि इस बारे में बताते हैं कि एक तो त्रिभुवन ने जब संघीय ढांचे का विरोध किया था तब भी किसी विलय की बात नहीं कही थी. दूसरे, भारत के विदेश मंत्रालय के पास ऐसा कोई दस्तावेज़ नहीं है, जो यह साबित कर सके कि नेहरू के पास ऐसा प्रस्ताव आया था. इसलिए ये महज़ अफवाहें रहीं|
मुनि आगे कहते है की ये सच है की त्रिभुवन भारत के साथ बेहद करीबी रिश्ते रखने के पक्ष में थे, यह सही है लेकिन दूसरी तरफ, नेहरू चाहते थे कि नेपाल आज़ाद रहे क्योंकि विलय जैसे किसी कदम से फिर अंग्रेज़ों और अमेरिकियों की दखलंदाज़ी से समस्याएं खड़ी हो सकती थीं|
प्रणब मुखर्जी की किताब में देश के अलग अलग पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अपनी इस किताब में उल्लेख किया है कि प्रत्येक पीएम की अपनी कार्यशैली होती है।
उन्होंने इसके उदाहरण के तौर पर बताया है की लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसे पद संभाले जो नेहरू से बेहद अलग थे। उन्होंने लिखा कि विदेश नीति, सुरक्षा और आंतरिक प्रशासन जैसे मुद्दों पर एक ही पार्टी के होने पर पर भी प्रधानमंत्रियों के बीच अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं।
इसके अलावा अब इस किताब को लेकर भी एक विवाद शुरू हो गया है दरअसल पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को पब्लिकेशन हाउस से किताब का प्रकाशन रोकने को कहा।
उन्होंने कहा कि वह एक बार इस किताब में लिखित सामग्री को देखना और अप्रूव करना चाहते हैं। इस बीच उनकी बहन और कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता किताब को अप्रूव कर चुके थे। साथ ही उन्होंने अभिजीत को सस्ती लोकप्रियता से बचने की नसीहत दी है।
इस किताब में इसके अलावा भी कई चौकाने वाले खुलासे किये गए है ये किताब अब आम लोगो के पढने के लिए उपलब्ध है आप भी इसे पढ़ सकते है|
रिपोर्ट – पूजा पाण्डेय
मीडिया दरबार
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