रिपोर्ट- रुचि पाण्डें, मीडिया दरबार
कपालेश्वर मंदिर से क्यूँ चले गए भगवान शिव
भारत में शिव की उपस्थिति के लिए कौन से चिन्ह है जिनसे भागवान शिव की उपस्थिति पहचानी जाती है। भगवान शिव के लिए कुछ चिन्ह दिए गए है जिनमें त्रिशूल , डमरु और नंदी माने जाते है। नंदी की उपस्थिति महादेव के लिए बहुत ज़रुरी मानी जाती है। महाराष्ट्र का एक शहर नासिक जो कुंभ मेले के कारण भी जाना जाता है। यहां कुभ के मेले के अलावा कपालेश्वर महादेव मंदिर बहुत प्रसिध्द है इसके प्रसिध्द होने का एक ही कारण है कि यहां भगवान शिव के बगल में नंदी उपस्थित नहीं है। आपको सुनने में हैरानी होगी पर संसार का यह एक मात्र मंदिर है, जहां भगवान शिव के वाहन नंदी उपस्थित नहीं है। हिंदू धर्म की कथा के अनुसार एक समय में भगवान शिव ने कपालेश्वर मंदिर में वास किया था।
कपालेश्वर मंदिर को लेकर एक प्रसिध्द कथा प्रचलित है
कपालेश्वर मंदिर में नंदी की अनुपस्थिति के पीछे एक कथा प्रचलित है कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव ने ब्रह्मा के चौथे मुख निंदा करने वाले को काट कर अलग कर दिया था जिस कारण भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया, और भगवान शिव ने अपने उपर लगे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए संसार में विचरण शुरु किया इसके लिए वे गोदावरी के रामकुंड तक गए और स्नान किया , वहां उन्होंने एक गाय के बछड़े को अपना गुरु माना और स्नान किया कहते है तब से ही भगवान शिव नें उन्हें कहा कि आप मेंरे सामने नहीं बैठेंगे कहते है इसलिए तब से यहां भगवान नंदी नहीं विराजते। और यह मंदिर विश्व का सबसे प्रसिध्द और अनोखा मंदिर माना जाता है। माना जाता है कि यहां नंदी शिव के गुरु रुप में विराजमान हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक औऱ अनोखी मान्यता है कि इस मंदिर के ठीक सामने बने रामकुंड में ही भगवान राम ने श्राध्द किया था। यह मंदिर इस कारण भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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